Monday, April 29, 2013

जिन्दगी--------


 जिन्दगी कभी धूप है कभी छांव है,

जिन्दगी कभी शहर है कभी गाँव है।

जिन्दगी कभी लहर है, कभी नाव है,

जिन्दगी कभी उतार है,कभी चढ़ाव है। 

जिन्दगी कभी बहता  दरिया है, कभी ठहराव है,

मुझे जिन्दगी के हर रंग से प्यार है ,

यह कभी झूमता बसन्त तो कभी लुटी हुई बहार है।

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