Tuesday, August 28, 2012

अब भी कहोगें तुम मुझे सती ???

झुंझुनू यात्रा के दौरान
घुमाया गया मुझे
तथाकथित "रानी सती" के मंदिर में.

मंदिर में प्रवेश करते ही दरवाजे पर
लिखा था ....
"हम सती प्रथा का विरोध करते है"
पर अंदर जाकर जिस तरह श्रदालुओं का दिखा रेला ,
और बाहर भी लगा था भक्तों का मेला ,
मेरे मन में सवाल उठा कि-------
जब दुनिया से गया होगा इस महिला का पति,
तो क्या अपनी इच्छा से हुई होगी यह सती ?
वहां तो कोई जवाब नहीं मिला पर रात
को सपने में आई वो महिला .
उसे देखकर पहले तो मैं डरा फिर
मेरा कलेजा हिला .
वो बोली डरो मत तुम वो पहले व्यक्ति हो!!
जो मन में मेरे सती होने या न होने का सवाल लेकर आये हो.
अगर तुम्हें जाए यह बात पच ---
तो बताती हूँ तुम्हें मेरी मौत का सच ---
जिस दिन इस दुनिया से रुखसत हुआ था मेरा पति .
मुझे दुःख तो था पर मैं नहीं होना चाहती थी सती.
मुझे बेहोशी की हालत में गया था सजाया .
मुझे जब पति की चिता पर गया चढ़ाया !
तो मेरी चीखों को दबाने के लिए नगाड़ा बजाया !
लोग जयकारे लगाते और मैं थी चीखती !!

क्या अब भी कहोगें तुम मुझे सती ???

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