Tuesday, August 2, 2016

जाति आख़िर क्यों नहीं जाती ???

यह जाति आख़िर हमारे व्यवहार से क्यों नहीं जाती,
कभी नाम में तो कभी काम में है खूब नज़र आती,
गाँव और शहरों में तो लोग मकानों पर लिखवाते हैं,
कहीं अग्रवाल तो कहीं ब्राह्मण सदन नज़र आते है,
जाति और समाज के नाम पर लोग संगठन बनाते हैं,
कहीं गालव समाज , कहीं सोनी समाज नज़र आते हैं,
सब कहते है जाति प्रथा व छुआछुत को दूर करो,
तो इंसान इस तरह जाति-समाजों में बँटे क्यों नज़र आते हैं ???

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