Monday, March 12, 2012

विचार का डर===

विचार का डर===================
विचार करने लगे हम तो हिल जाएगी
उनकी दुनियां ,
ढह जायेगें उन तानाशाहों के महल
जो बने है विचारों की हत्या और शोषण की बुनियाद पर ,
क्योंकि विचार की नहीं होती कोई सीमा
इन्हें आप बांध नहीं सकते जंजीरों में
हाँ इंसानी जिस्मों को कर सकते है आप कैद
मगर विचार के लियें कहाँ बनी है कोई जैल,
और विचार का डर ही तो सताता है इन सब तानाशाहों को
तभी लगाया जाता है विचारोंत्तेजक पुस्तकों पर प्रतिबन्ध
और दुनियां की आधी आबादी को नहीं मिलती,
विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
क्योंकि विचार बदल सकता है उनकी दुनियां,
और इस बदलाव से डरते है वो,
काबिज है जिनकी सत्ता दुनियां की आधी आबादी पर.
तो आप करिये विचार ----------

2 comments:

  1. बहूत खूब कविता प्रस्‍तुत की है भाई साहब, यहां पर आपको लिखने/विचार प्रकट करने से कोई नहीं रोकता इसलिए अपने विचारों को दबाओ नहीं जो अन्‍दर छुपा है उसको बाहर आने दो मेरे भाई... इससे ही तो विचारों में निखार जो आएगा

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