Thursday, June 28, 2012

समता के दीप जले --------------

समता के  दीप जले --------------
छिन  रहा है गरीब के मूंह का निवाला
हो रहा है  शोषण चहूँ और ,
अब समता  का दीप जले  तो बात बने .
सरे आम लुटती इज्जत अबलाओं की
कोई सबला बन इन दुष्टों का नाश करे तो बात बने .
गर्भ में मारी जा रही है कन्यायें ,
इनका कोई संताप हरे तो बात बने.
नेता भ्रष्टाचार में डूबे है आकंठ ,
इनमें से कोई गाँधी बने तो बात बने .
लोकतंत्र के प्रहरी बन कर
न्याय की जो बातें  करते, करते वे ही अन्याय हैं .
इनका चेहरा साफ बने तो बात बने .
खो रहा चैनों अमन साम्प्रदायिकता के दुष्टों से ,
अमन की कोई राह खुले तो बात बने 
छीन रहा है गरीब के मुंह का निवाला
हो रहा है  शोषण चहूँ और ,
अब क्रांति का शंख बजे तो बात बने .
अब समता  के  दीप जले  तो बात बने .






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