प्रियतम मेरे दिल में तेरे लिए असीमित प्यार है . पर रोते बिलखते बचपन को भी तो इसकी दरकार है. देख कर हालात देश के कैसे रह सकता हूँ मौन ? देश में फैले अशिक्षा के तम को दूर करेगा कौन ? जबकि बहेलिये इस जनता को लूटने को तैयार हैं. प्रियतम मेरे दिल में तेरे लिए असीमित प्यार है . पर रोते बिलखते बचपन को भी तो इसकी दरकार है. जी तो बहुत करता है तेरे ख्वाबों में खो जाने का. पर वक़्त कहाँ मिलता है तेरी जुल्फों को सुलझाने का ? हालात देश के उलझे हैं ,उलझे है उनमें हम भी अब . रोशन होगा सच्ची आज़ादी का सूरज न जाने कब ? कोंपलें तो खिल रही है पौधा खिलने को तैयार है . प्रियतम मेरे दिल में तेरे लिए असीमित प्यार है . पर रोते बिलखते बचपन को भी तो इसकी दरकार है. |
समसामयिक मुद्दों पर लिखने में मेरी रूचि हमेशा से रही है और इसी का परिणाम यह कवितायेँ हैं .
Monday, July 2, 2012
आज़ादी का सूरज और प्यार
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