कातिल तो हो तुम मेरी !
बेशक नही किया तुमने खून मेरा
पर मेरे सपनों का क़त्ल तो किया तुमने
जानती थी तुम कि आसन नही है मुझ पर
तीर-तलवार चलाना ------
इसलिए तुमने मेरे सपनों को बनाया
अपना निशाना----------
तुम सजा की हक दार तो हो मेरी जानेजाना
यह जानते हुए भी कि मेरे मारे जाने से
भी खतरनाक था मेरे सपनों का मारे जाना-----
किया तुमने मेरे सपनों का कत्ल ----
आखिर कातिल तो हो तुम मेरी -------
बेशक नही किया तुमने खून मेरा
पर मेरे सपनों का क़त्ल तो किया तुमने
जानती थी तुम कि आसन नही है मुझ पर
तीर-तलवार चलाना ------
इसलिए तुमने मेरे सपनों को बनाया
अपना निशाना----------
तुम सजा की हक दार तो हो मेरी जानेजाना
यह जानते हुए भी कि मेरे मारे जाने से
भी खतरनाक था मेरे सपनों का मारे जाना-----
किया तुमने मेरे सपनों का कत्ल ----
आखिर कातिल तो हो तुम मेरी -------
No comments:
Post a Comment