सावन के दोहे ------
[१]
उमड़ घुमड़ कर बादल आये छाई घटा घनघोर !
मैंने पिया को याद किया बोले बनकर मोर !!
पिव पिव की रट सुनी हो गई भाव विभोर !
सावन के इस मौसम में पिव संग हुई चकोर !!
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[२]
बादलों के शोर में जब सुनी मोर की कूक !
प्रियतम से मिलने को उठी हिय में हूक !!
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[३]
बारिश के रंग देखकर हम भी रह गये दंग !
महबूबा के संग में जब भीगा अंग अंग !!
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