Wednesday, August 22, 2012

नवल का नव प्रयोग


१.
वह जब आती मन को भाती,     
सबके जीवन को हर्षाती ,
कभी कभी देती है तरसा,
क्यों सखा सजनी, ना 'बरसा'.

२.

वो जब आती मैं सो जाता ,
गहरे सपनों में खो जाता ,
उस संग हो जाता 'रिंद'
क्यों सखा सजनी, ना नींद
 ३.
शुरुर उसका जब छाता है .
रोम रोम सा खिल जाता है.
उसके आगे सब खराब .
क्यों सखा सजनी,ना शराब.

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