समसामयिक मुद्दों पर लिखने में मेरी रूचि हमेशा से रही है और इसी का परिणाम यह कवितायेँ हैं .
Thursday, August 23, 2012
दोहे --------
१.
दारू पिए ना सुध लें अफसर, नेता ओ चोर !
कहे नवल दारू मिले तो सब काम करें घनघोर !!
२.
ना जाने किस मद में मनमोहन मदहोश !
देश दिवाला कर दिया अब भी नहीं है होश !!
३.
कोल आवंटन में हुआ जब बंटा डार !
कोयले के कोप से अब डर रही सरकार !!
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