"गांव से शहर में आकर
बना लिया मुकाम ,
खरीद ली चार पहिये की गाड़ी,
अब इठलाता हूँ मैं बनकर "शहरी "
आखिर मेहनत के बलबूते किया
हैं मैंने अपना "विकास" ,
पर मैं और मेरी बीबी आज भी
पूजते हैं चौथ का चाँद ,
चाँद पर कदम रख दिए तुमने तो क्या ?
मैं तो आज भी मानता हूँ उसे देवता ,
अब जरुरी तो नही मैं बदला तो मेरी सोच भी बदले "????
बना लिया मुकाम ,
खरीद ली चार पहिये की गाड़ी,
अब इठलाता हूँ मैं बनकर "शहरी "
आखिर मेहनत के बलबूते किया
हैं मैंने अपना "विकास" ,
पर मैं और मेरी बीबी आज भी
पूजते हैं चौथ का चाँद ,
चाँद पर कदम रख दिए तुमने तो क्या ?
मैं तो आज भी मानता हूँ उसे देवता ,
अब जरुरी तो नही मैं बदला तो मेरी सोच भी बदले "????
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