इतना आसन भी नही है ए मौत मुझसे टकराना पता है अंतिम सत्य हो तुम पर अब जब कभी आओ तो संभल कर आना शर्म नही आई तुम्हें बनाते हुए हमें अपना निशाना ! पर क्या हुआ हार कर तो तुम्हें पड़ा जाना और हाँ सुन लो हर बार तुम्हे ऐसे ही पड़ेगा मात खाना खबरदार इतना भी आसन नही है मुझसे टकराना !!! |
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